
अंबेडकरनगर।
जिले की सभी दस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर मरीजों को न तो अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल पा रही है और न ही डिजिटल एक्सरे की। इस आवश्यक व सामान्य जांच के लिए मरीजों को मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है।
यहां भी लंबी वेटिंग के चलते उन्हें अक्सर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। टांडा सीएचसी में अल्ट्रासाउंड मशीन की सुविधा मिली भी थी, लेकिन वह खराब पड़ी है।
जिला अस्पताल के बाद महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली सीएचसी बसखारी में औसतन प्रतिदिन पांच सौ मरीजों की ओपीडी होती है। इसके बाद भी यहां अल्ट्रासाउंड व डिजिटल एक्सरे की सुविधा नहीं है। यहां सामान्य एक्स रे की सुविधा तो है, लेकिन मशीन अक्सर खराब ही रहती है। जलालपुर, नगपुर, जहांगीरगंज, रामनगर, टांडा, कटेहरी, भीटी समेत अन्य सीएचसी जाने वाले मरीजों को भी निराशा हाथ लगती है।
जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित जहांगीरगंज व भीटी के मरीजों को सबसे ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ता है। उन्हें 35 से 45 किमी लंबी दूरी तय जांच के लिए जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है।
निजी सेंटर का लेना पड़ा सहारा
बसखारी निवासी अन्नू यादव ने कहा कि गत दिवस उसके रिश्तेदार के पैर में फ्रैक्चर हो गया था। डिजिटल एक्स रे कराना था। सीएचसी बसखारी में सुविधा नहीं है। ऐसे में निजी सेंटर का सहारा लेना पड़ा। इससे आर्थिक चपत लगी। सीएचसी में जिला अस्पताल के बाद सबसे ज्यादा ओपीडी होती है। इसके बाद भी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
जिला अस्पताल तक लगानी पड़ी दौड़
जलालपुर नगर निवासी पप्पू ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सीएचसी जलालपुर व नगपुर दोनों ही अस्पतालों में न तो डिजिटल एक्स रे की सुविधा है और न ही अल्ट्रासाउंड की। नतीजा यह है कि मरीजों को इन जांच के लिए या तो जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है या फिर निजी सेंटर का सहारा लेना पड़ता है। इससे आर्थिक चपत लगती है। दो दिन पहले शनिवार को रिश्तेदार का अल्ट्रासाउंड कराना था। इसके लिए जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ी थी।
किया जा रहा प्रयास
सीएचसी टांडा में अल्ट्रासाउंड व डिजिटल एक्स रे जांच की सुविधा प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य निदेशालय को पत्र भेजा जा चुका है। चुनाव बाद सीएचसी बसखारी व जलालपुर में भी दोनों जांच की सुविधा के लिए पत्र भेजा जाएगा। -डॉ. राजकुमार, सीएमओ